मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

मंगलवार, 29 नवंबर 2011

desh

लोगों के देश चलाने के कुछ तरीके,,,,,,
1 अपनी शराफत के नाम पर
2 खनदान के नाम पर
3 अपनी जाति के नाम पर
4 दौलत के दम पर
5 गुंडागर्दी के दम पर
6अर्थयाातरी होने के नाम पर
7चाल चलने के कारण
8 वाचाल हाने के कारण
9 लोगों को बेवकूफ बनाना जानने की वजह से
10 किस्मत के कारण
सबके पास विचार हों आवश्यक नहीं सर जी

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

good

ष्षरद पवार के कान पर थप्पड़ जड़ा । सिर्फ चार नेताओं ने निंदा की । हजारों अन्य नेताओं जेसे पार्टियों के अध्यक्षों , राज्यों के नेताओं ,प्रधानमं´ी ,लोकसभा व राज्य सभा के स्पीकर, नेता विपक्ष आदि सभी ने निंदा नहीं की है । हम भी निंदा नहीं कर रहे । आप ???????????? आगे ऐसे हूआ तो आप क्या करेंगे,,,,,,,,,निंदा करेंगें ं????

बुधवार, 23 नवंबर 2011

hye ram

क्या आप जानते है मात्र एक चेनल पर सरकार खुद के विज्ञापन का कितना खर्चा करती है ?...

विज्ञापन दर -
एनडीटीवी - प्रति 10 सेकेंड का रु॰ 3,810/- (साधारण दिन)
आजतक - प्रति 10 सेकेंड का रु॰ 3,720/- (साधारण दिन)
स्टार न्यूज़ - प्रति 10 सेकेंड का रु॰ 2,490/- (साधारण दिन)
IBN7 - प्रति 10 सेकेंड का रु॰ 2,250/- (साधारण दिन)

भारत निर्माण विज्ञापन
समय = 90 क्षण (सेकेंड)
प्रतिदिन (average - slots / day) - 10 प्रतिदिन (min.)

हर विज्ञापन की अनुमानित लागत -
90 X 2500/- = 2,25,000

प्रति चेनल पर प्रतिदिन विज्ञापन पर अनुमानित खर्चा
2,25,000.00 x 10 = 22,50,000.00

यह पैसा सरकार या कांग्रेस का नहीं, हम और आप जैसे लोगों के द्वारा मेहनत से कमाए हुए पैसे पर दिए गया टैक्स का पैसा है.
क्या मैं और आप इसी लिए टैक्स भरते हैं?

mahgai ?

मंहगाई मार्च तक रहेगी,,,,,,प्रणब मुखर्जी
फिर आपको आदत पड़ जाऐगी
हमारी मौज जारी रहेगी
आप जलें ना

शनिवार, 19 नवंबर 2011

gaadi

रोहतक के आसपास मौसम अजीब सा है,,,,,,,,धुन्ध ही धुन्ध,,,,,,,,,,गाड़ी सावधानी से चलाएं,,,,,,,,,,,,,,पर बाबू पेट तो भरना ही है ना ,,,,,,,,,,सांतवना से पेट तो नहीं भरता,,,,,मैं सावधान रहूंगा ं मैं सोचता ही रह गया उसने गाड़ी में गेयर लगाया और चलता बना ।

eak kutta aur

एक पति अपनी पत्नी की अर्थी लेकर जा रहा था। अर्थी के आगे एक कुत्ता चल रहा था और अर्थी के पीछे कई सौ आदमियों की लम्बी लाईन भी चल रही थी।
एक आदमी ने आकर पूछा . भाई ये सब कैसे हुआघ्
पति . ये जो कुत्ता सामने चल रहा है नाण्ण्ण् इस कुत्ते ने काट लिया और मेरी पत्नी का देहांत हो गया।
वो आदमी बोला . क्या तुम एक दिन के लिए ये कुत्ता मुझे दे दोगेघ्
पति . तुम क्या समझते हो ये जो भीड़ चल रही है मेरी पत्नी के दाह संस्कार में शामिल होने आई हैए ये सब इस कुत्ते को लेने आये हैं। जाओए और पीछे लाईन में लग जाओ। एक कुते के पीछे चल रहे कुतो में एक की बढोतरी हो गई थी ।

saas ki laat

पड़ोसी के यहां घर जमाई की पिटाई चल रही थी । धर्मपत्नी के स्टूल पर हमने भी साइड में पैर रख लिया और लगे दिवार पर से लाइव महाभारत देखने । ये क्या ,जमके चल रही धुनाई में दामाद जमीन पर पड़ा है और बाप बेटी के साथ साथ सास भी लात व घूसे मार रही है । हमारी बिल्ली और हमस े म्याउं ? जोर से ससुर ने तमाचा जड़ा । दामाद की आंखेंा में खून उतर आया था । हमने सोचा कोइ्र अनहोनी न हो जाए ,पर हमारी धर्मपत्नी ने बताया ये रोज का काम है इनका । दामाद की नजर ससुर की प्रोपर्टी पर है लात पर नहीं ।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

Takwar ki dhaar


तलवार की धार

सास की आस अब भी खत्म नहीं हुई है । वह सोचती है बहू अब तो उसकी कदर समझेगी । बहू का घर उसके बिना नहीं चल पाऐगा । उधर बहू का कहना है मैं बुढिया की सेवा क्यों करूं ? उसको टुकड़ा इस लिए डाल रही हूं कि लोग क्या कहेंगें ? भले ही इसने जवानी में मेरे साथ कुछ भी किया हो । मैं इस घर में आई थी तब मेरे साथ जो इसने किया था उसे याद करती हूं तो मेरा खून खोलने लगता है । फंस गया है बेचारा बिमल । एक तरफ मां है तो दूसरी तरफ पत्नी , करे तो क्या करे ? मां का जीवन जिन अभावों में गुजरा है उसको पत्नी जानना ही नहीें चाह रही । पत्नी जिसे सेवा कह रही है बिमल को लगता है वह फर्ज मान्न निभाया जा रहा है । मां और पत्नी दोनों दिन भर तलवारें निकाले घूमती रहती हैं , बिमल का जीवन तलवार की धार पर चलने जैसा होकर रह गया है । 

Duveedha

दुविधा
राजीव ने पे्रम विवाह का फल खाया है । जिन सासों में कभी खुषबू आती थी अब हालात ये हैं जिस दिन भी वह दफतर नहीं जा पाता, घर में महाभारत होना निष्चित है । अब तो औलाद षादी के लायक हो गइ्र्र है । बेटा बड़ा है । वह नहीं चाहता उसका बेटा कोई गलत फैंसला ले और फिर जीवन भर पछताए । जो भी हो पर प्रेम विवाह के बारे में वह अपनी औलाद को मार नहीं खाने देगा । कैसे सारे गुण एक एक करके अवगुण में बदल जातें हैं मुझ से बेहतर भला कौन जान सकता है ? पर करे तो,करे क्या ? सोचता है जब मैं अपने ही फैंसले पर पछता रहा हूं , तो बेटे के लिए सही लड़की कैसे ढूंढ सकता हूं ? पत्नी यह फैंसला ले यह तो उसे किसी सूरत में मंजूर नहीं । करे तो , करे क्या ? अजीब दुविधा में फंस गया है ।

शनिवार, 12 नवंबर 2011

seekh

बौराए पेड़ पर तोता और गिलहरी अपना भोजन चुन रहे थे उघर नन्ही बैया फुदक फुदक कर फूल खा रही थी नीचे पानी के नल पर औरतें अपनी अपनी बाल्टी अड़ाने की कोशिश में लड़ रहे थे । आदम जात कोई सीख लेना ही नही चाह रही ।

Fail

साइकिल के फ्राइव्हील में खराबी आ जाती है तो कहते हैं कूत्ते फेल हो गए,,,,,,,,,,,,कुत्तों के फेल होने का क्या मतलब ? पास कब होते हैं ?

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

jhaaat

झात सा मुहं किब हुया करै ? एक इडी उम्र का माणस स्टेज पै चुटकला सुणाव था । एक बोल्याा ,,,,रै वाह ताउ,,,,,,,,, मैं लेरा ताउ नही फूफा लागु सूं ,,,,,,,,,,,बोलणिए का मुहं झात सा हो ग्या

बुधवार, 9 नवंबर 2011

bhasker 9th nov 2011

..सोच

वनिता बहू ढूंढ रही है। ‘कैसी लड़की चाहिए?’ मैंने यूं ही टाइमपास के लिए पूछ लिया और वह शुरू हो गई, ‘सोचती हूं, ऐसी लड़की मिल जाए तो ठीक रहेगी, जो अपने माता-पिता की पहली संतान हो। ऐसे बच्चे ज़्यादा तंदुरुस्त होते हैं।’ मैं सुनकर दंग रह गई कि लोग कहां तक सोच लेते हैं। फिर उसकी आवाज़ मेरे कानों में पड़ी, ‘इनके पापा कह रहे थे, ‘लड़की के यहां भाई न हो तो और सही रहता है। कुछ मांगने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, सब अपने आप ही मिल जाता है। कई लोगों के पास तो कई एकड़ जमीन भी होती है।’ मैं तो इनके पापा को कह रही थी, ‘रिश्ता गुडग़ांव या नोएडा का ही देखना, वहां की ज़मीनें बड़ी महंगी हैं।’ मुझसे रहा न गया। ‘वनिता, कुछ तो शर्म कर। पिछले साल ही तूने अपनी बेटी का ब्याह किया है। ‘दामाद विदेश में नौकरी कर रहा है। तो कार देने का क्या फायदा? मेरी बेटी को कौन सा इंडिया में रहना है।’ तू यही कहती थी न। फर्नीचर देने का भी क्या फायदा कहकर अलमारी तक नहीं दी तूने बेटी को और अब तुझे ज़मीन चाहिए?’ वनिता मेरा मुंह ताक रही थी, फिर आहिस्ता से मैंने पूछा, ‘मैंने कुछ गलत कहा क्या बहना?’ वह चुप थी।
आप मेरी नो नवम्बर के भास्कर में छपी लधुकथा पढने का समय निकाल पाए तो मुझे खुशी होगी ।

http://www.facebook.com/l.php?u=http%3A%2F%2Fepaper.bhaskar.com%2Fmpcg%2Fepapermain.aspx%3Fedcode%3D213%26eddate%3D11%252F9%252F2011%2B12%253A00%253A00%2BAM%26querypage%3D2&h=TAQGzqs7wAQE6_j2dapzUNMKFAPKjxT4S7bzqtD_jcUCMyw

गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

sanskar


दो बेटों की मां हूं । सौभाग्यषाली भी हूं । दोनों बेटे एक ही षहर में और वह भी पास पास,एक ही सेैक्टर में रह रहे हैं । मैं दोनों परिवारों के बीच सेतू । मन करता है तो बड़े के यहां चली जाती हूं ,फिर छोटे के पास आ जाती हूं । बहूएं दोनो नौकरी करती हैं । बच्चे घर से बाहर हैं , बड़े बेटे के तो नौकरी कर रहे हैं , छोटे के अभी पढ रहे हैं । जिस घर में चहल पहल होती है वहीं मेरा मन लगता है । दोनो परिवार इक्कठे रह रहे होते तो कितना अचछा लगता सोचती हूं तो मन गदगद हो जाता है । जाने जमाना ही बदल गया है या मुझ से कोई संस्कार देने में भूल हुई है ।




dukh

पिता के न चाहते हुए बेटे ने शादी क्या की, बाप बेटे का रिश्ता ही टूट गया ं पूरे पांच साल बाद बेटे के घर लड़का होने की खबर मिली तो पिता द्रवित । जाकर पोते को छाती से लगया , आखों से टप टप आंसू गिरने लगे । पिता ने कितना दुख सहा है बेटा समझ गया है ।

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

dadi amma

बिटिया ने कल दिवाली की रात को सुन्दर रंगोली घर के आंगन में बनाई , दादी अम्मां सुबह से रखवाली कर रही हैं मुआ अखबार वाला अखबार फेंकेगाा, कहीं रंगोली न खराब हो ताए । अखबार वाले की छुटी है मैं मां को बता दूंगाा तो दादी का पोती के प्रति स्नेह दिखना बंद हो जाएगाा क्या करूं ?

es diwali

इश्वर इस दिवाली आपको काले धन पर राहुल और सोनिया जैसी चुप्पी....मनमोहन और चिदंबरम जैसा षड्यंत्र करने की बुद्धि.....कनिमोज़ी और राजा जितना धन.....दिग्विजय और राखी सावंत जैसा मुख....और आडवानी जैसा सत्ता पाने की ललक की शक्ति प्रदान करें....हार्दिक शुभ कामनाएं.....साथ ही..ईश्वर आपको इस दीपावली : १) अन्ना जैसा " संसद और संविधान " से ऊपर वाला स्थान दें . २) अरविन्द केजरीवाल की - " खाता न बही , केजरीवाल कहे वो सही " जैसी ताकत दें . ३) किरण बेदी की तरह हवाई यात्रा में ...

सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

dum

कालोनी के नुक्कड़ पर जीप आकर थमी । छ पिल्लूरों को दूध पिला रही कुतिया पूंछ हिलाती हुई खड़ी हो गई । पिलूरों ने देखा , नेता बोनट पर चढ कर भाषण देने लगा है ।
तभी कुतों का सरदार वहां आ धमका ,पिलुरों से उसने कहा, नेता को सलाम ठोको ,अपनी बिरादरी का है । पर पिलुरे साफ मना कर गए । कहने लगे,अगर आदमी जात ने देख लिया तो हमारी वफादारी पर षक करने लगेंगे । हमें पिलुरों के लोजिक में दम लगा ।

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

hindi divas

हिन्दी दिवस पर मुख्य अतिथी महोदय ने सभी को षपथ दिलाई कि आज से हम बैंक में अपने साईन हिन्दी में करेंगे, आज से आगे हम फेस बुक पर अपना यूजर नेम,घर की नेम प्लेट आदि हमेषा हिन्दी में ही लिखेंगें ,अपने बच्चों को अंग्रेजी के साथ साथ हिन्दी भी पढाएंगे । हाल तालियों से गूंज उठा । जलपान के लिए सब आफिस में आ गए । हमारा परिचय मुख्य अतिथी महोदय से पहले से ही था । हमने कहा , हम आप के आत्मीयता से भरे लैक्चर से बड़े प्रभावित हुए । हमने षपथ भी ले ली है । आपका बेटा आजकल क्या कर रहा है ? वे खुष होकर बोले, विदेष में पढा है ,कमप्यूटर की पढाई की है । रिष्ता करना चाह रहा हूं उसका , योग्य कन्या नजर में हो तो बताना । इंगलिष एम ए ही चाहिए, वे एक ही सांस में सब कुछ कह गए ।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2011

kaj

काज ,,,,,,,,,यानि किसी के मरने पर शौक प्रकट करके जलेबी खाना ।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

Pagal

मैं पागल न होते हुए भी वहां चला जाता हूं । इस रविवार को गया तो रवि कोदेख कर दंग रह गया । क्या बात है भाई ? वह एक किताब पढ रहा था । क्या करूं सर धर में परेशान कर के रखा है । पिता चाहते हैं खानदानी बिजनैस संभलूं । मां चाहती है नाना जी जैा नामी ग्रामी वकील बनूं । बड़ी बहन पुलिस अफसर देखना चाहती है और दादा जी फौजी अफसर बनाना चाहते है। मैं पागल हो गया हूं । कोई नहीं जानना चाहता कि मैं क्या चाहता हूं , इसलिए यहां आ गया हूं ।

rath yatra

एक पंचायती फैंसला करने पंचायत में गया हुआ था । लड़का किसी लड़की को भगा ले गया था । वह फैंसला सुनाने ही वाला था कि किसी ने आ कर खबर दी, तेरी छोरी किसी के साथ भाग गई है। आडवानी जी के साथ येदूरपा ने यही किया

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

Anna

Chalti chaki dekh ke,
Diya kabira royee….
Chalti chaki dekh ke,
Diya kabira royee….



मारा पीटी देख के दिए अन्ना जी रोए
कांग्रेस के जो फंसा साबूत बचा न कोए

रविवार, 9 अक्तूबर 2011

kaua

कौआ
काग ने कोयल के अण्डे अपने घोंसले में देखे तो आग बगूला हो गया । जो पक्षी अपनी औलाद का नहीं वो किसी और का कैसे हो सकता है ? लम्बी उड़ान के बाद एक षीषम के पेड़ पर पापीन कोयल उसे बैठी दिखाई दी । वह बगल की टहनी पर बैठा ही था कि नीचे बैठे युगल की बातों की तरफ ध्यान गया । पत्नी कह रही थी ये मुआ काग कहां से आ गया उड़ओ इसे, अच्छी भली कोयल की आवाज का आनंद ले रहे थे अब ये अपनी कांव कांव से कोयल को उड़ देगा । इंसानों की परख पर उसे तरस आ रहा था । मीठे बोलने वालों की असलियत आदमी ेकब समझेगा ? प्त्थर लगने से पहले ह ी वह उड़ चुका था ।




kaua

कौआ
काग ने कोयल के अण्डे अपने घोंसले में देखे तो आग बगूला हो गया । जो पक्षी अपनी औलाद का नहीं वो किसी और का कैसे हो सकता है ? लम्बी उड़ान के बाद एक षीषम के पेड़ पर पापीन कोयल उसे बैठी दिखाई दी । वह बगल की टहनी पर बैठा ही था कि नीचे बैठे युगल की बातों की तरफ ध्यान गया । पत्नी कह रही थी ये मुआ काग कहां से आ गया उड़ओ इसे, अच्छी भली कोयल की आवाज का आनंद ले रहे थे अब ये अपनी कांव कांव से कोयल को उड़ देगा । इंसानों की परख पर उसे तरस आ रहा था । मीठे बोलने वालों की असलियत आदमी ेकब समझेगा ? प्त्थर लगने से पहले ह ी वह उड़ चुका था ।




http://drved.blogspot.com/

nineed

नींद
साढे चार साल का बेटा आर्यन, मम्मी पापा कम्पनी में काम करते है । छोटा परिवार सुखी परिवार ,पर सिर्फ कहने के लिए । नन्हे आर्यन को सुबह छ बजे ही बिस्तर से उठाया जाता है । आंखे मल रहा होता है तो नहला दिया जाता है । कपड़े पहना उसे साढे छ बजे स्कूल बस में चढा दिया जाता है । फिर पति पत्नी दो घंटे दुबारा से नींद का मजा साढे आठ बजे तक उठाते हैं । उधर आर्यन उंघता भी है तो मैम पकड़ कर झिंझोड़ देती है । सुखी कौन है समझ नहीं आ रहा ।

शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

kameej

नन्हें ने रो रो कर बुरा हाल कर रखा है । सुबह से रो रहा है । मुझे नया कमीज पहनना है । पत्नी के सब्र का बांध भी टूट गया । सात साल के बच्चे को त्योहार पर नए कपड़े तक नहीं दिला सकते तो पैदा ही क्यों किया था ? झोपड़ पटटी के सामने बहुमंजिली इमारत में अमीर लोग रहते हैं । पांचवी मंजिल के खन्ना साहब से उंची उंची आवाजें आ रही हैं । मेरे पास सुबह सुबह वक्त बिल्कुल वक्त नहीं होता दफतर से रामू की डयूटी क्यों नहीं लगा देते आकर यषू को कपड़े पहना दिया करेगा ।

kameej

नन्हें ने रो रो कर बुरा हाल कर रखा है । सुबह से रो रहा है । मुझे नया कमीज पहनना है । पत्नी के सब्र का बांध भी टूट गया । सात साल के बच्चे को त्योहार पर नए कपड़े तक नहीं दिला सकते तो पैदा ही क्यों किया था ? झोपड़ पटटी के सामने बहुमंजिली इमारत में अमीर लोग रहते हैं । पांचवी मंजिल के खन्ना साहब से उंची उंची आवाजें आ रही हैं । मेरे पास सुबह सुबह वक्त बिल्कुल वक्त नहीं होता दफतर से रामू की डयूटी क्यों नहीं लगा देते आकर यषू को कपड़े पहना दिया करेगा ।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

मां जी को स्कूल से रिटायर हुए चार दिन हुए हैं । बहू रेखा को आराम हो गया है । बच्चे दादी के पास दिन भर खेलते रहते हैं । सुनो जी, मां को किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी ज्वाइन क्यो नहीं करवा देते, चार पैसे धर में आऐंगें , बच्चों के काम आऐंगें । अभी जवान पड़ी हैं बेकार चारपाई तोड़ेगीं । डार्लिग धर पर आराम करने के लिए मैं हंू ना, पत्नी ने गले में बाहें डाल कर कहा तो मां का लाडला जल भुन कर रह गया ।

रविवार, 2 अक्तूबर 2011

maa

मां जी को स्कूल से रिटायर हुए चार दिन हुए हैं । बहू रेखा को आराम हो गया है । बच्चे दादी के पास दिन भर खेलते रहते हैं । सुनो जी, मां को किसी प्राइवेट स्कूल में नौकरी ज्वाइन क्यो नहीं करवा देते, चार पैसे धर में आऐंगें , बच्चों के काम आऐंगें । अभी जवान पड़ी हैं बेकार चारपाई तोड़ेगीं । डार्लिग धर पर आराम करने के लिए मैं हंू ना, पत्नी ने गले में बाहें डाल कर कहा तो मां का लाडला जल भुन कर रह गया ।

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

दो चिडियों की प्रेम कहानी........ एक दिन चिड़िया बोली- मुझे छोड़ कर कभी उड़ तो नहीं जाओगे ? चिड़ा ने कहा - उड़ जाऊ तो तुम पकड़ लेना. चिड़िया- में तुम्हे पकड़ तो सकती हु पर फिर पा नहीं सकती यह सुन चिड़े की आँखों में आंसू आ गए और उसने अपने पंख तोड़ दिए और बोला अब हम हमेशा साथ रहेंगे एक दिन जोर से तूफान आया चिड़िया उड़ने लगी तभी चिड़ा बोला तुम उड़ जाओ में नहीं उड़ सकता. चिड़िया - अपना ख्याल रखना कहकर उड़ गई जब तूफान थमा और चिड़िया वापस आई तो उसने देखा की चिड़ा मर चूका था और एक डाली पर लिखा था...... ""काश वो एक बार तो कहती की में तुम्हे नहीं छोड़ सकती "" तो शायद में तूफान आने से पहले नहीं मरता..!
बाबू जी ने खाना खाने के बाद गुड़ मांगा तो धर्मपत्नी ने झिड़क दिया , बेटा राकेष चुप रहा । महीने भर बाद ही बाबू जी चल बसे । बहू ने फैंसला लिया कि पिता जी का काज करेंगें । चार क्विंटल चीनी लोगों को खिलाने में कोई एतराज नहीं, पर बाबू जी गुड़ के लिए तरसते ही विदा हो गए ।

संगी

रविवार, 5 जून 2011

लंगोटी की लाज रखेंगें


हमने तो सोचा था नेता अब बाबा से डर जाएंगे
ये तो बिल्कुल इल्म नहीं था ,यूं भी ये कुत्ताऐंगें
भोंक रहे हैं बारी बारी, बाबा भगा दिए ब्रहमचारी
ताकत इतनी होने पर भी ब्रहमचारी ने लंगोटी तारी
बाबा जी तुम मत घबराना,मन पर तेरा नाम रहेगा
लंगोटी की लाज रखेंगें , बहनो का एहसान रहेगा