शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

kameej

नन्हें ने रो रो कर बुरा हाल कर रखा है । सुबह से रो रहा है । मुझे नया कमीज पहनना है । पत्नी के सब्र का बांध भी टूट गया । सात साल के बच्चे को त्योहार पर नए कपड़े तक नहीं दिला सकते तो पैदा ही क्यों किया था ? झोपड़ पटटी के सामने बहुमंजिली इमारत में अमीर लोग रहते हैं । पांचवी मंजिल के खन्ना साहब से उंची उंची आवाजें आ रही हैं । मेरे पास सुबह सुबह वक्त बिल्कुल वक्त नहीं होता दफतर से रामू की डयूटी क्यों नहीं लगा देते आकर यषू को कपड़े पहना दिया करेगा ।

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