रविवार, 9 अक्तूबर 2011

kaua

कौआ
काग ने कोयल के अण्डे अपने घोंसले में देखे तो आग बगूला हो गया । जो पक्षी अपनी औलाद का नहीं वो किसी और का कैसे हो सकता है ? लम्बी उड़ान के बाद एक षीषम के पेड़ पर पापीन कोयल उसे बैठी दिखाई दी । वह बगल की टहनी पर बैठा ही था कि नीचे बैठे युगल की बातों की तरफ ध्यान गया । पत्नी कह रही थी ये मुआ काग कहां से आ गया उड़ओ इसे, अच्छी भली कोयल की आवाज का आनंद ले रहे थे अब ये अपनी कांव कांव से कोयल को उड़ देगा । इंसानों की परख पर उसे तरस आ रहा था । मीठे बोलने वालों की असलियत आदमी ेकब समझेगा ? प्त्थर लगने से पहले ह ी वह उड़ चुका था ।




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