लधुकथा
लाश को शव वाहन में चढाने वाले मुश्किल से पांच सात ही थे । घर के सामने कौआ कंरंट लगने से मर गया। उसके जमीन पर गिरते ही बहूत सारे कोए आकर कांव कांव करने लगे। उनकी कांव कांव में अपनत्व का ऋदन साफ साफ सुर्नाइ दे रहा था । मैं सोच रहा था, इंसान की संवेदनाएं कहां मर गई , इससे तो कौए अच्छे, जो अपने साथी के मरने पर इककठे हो गए हैं।
हर बार की तरह ये भी सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंThanks manu
जवाब देंहटाएं